लेखनी कहानी - बंधन स्नेह का..
रिश्ता स्नेह का..
बंधन कोई भी हो, अगर उसमे स्नेह नही तो फिर वह केवल एक पिंजरा बन जाता है, जिसके अंदर एक रिश्ता घुटता रहता है।
पति - पत्नी से शुरू होता हुआ एक बंधन, माता पिता, और बच्चों तक पूरा होता है, इन्ही 3 रिश्तों के बीच सारे रिश्ते आ जाते हैं। भाई बहन, भाई भाभी, ताऊ ताई, चाचा चाची, दादा - दादी, नाना नानी, बुआ, मामा, आदि सभी पति पत्नी के पवित्र बंधन की ही परिणीति होती है।
इन सभी रिश्तों के बीच आपसी तालमेल, परस्पर सहयोग और सबसे जरूरी सम्मान और स्नेह का होना एक सुखी गृहस्थ जीवन के लिए अत्यावश्यक होता है।
त्योहारों की चमक, आयोजनों की धनक, जन्म से लेकर मृत्यु तक, इन सभी में ये सारे रिश्ते शामिल होते हैं। वो अलग बात है कि कितनी खुशी या गम के साथ।
आज रक्षाबंधन के त्योहार पर अपने मायके जाने लिए तैयार हो रही विधि अंदर से कुछ परेशान थी। बड़ी मुश्किल से उसने विनय को साथ चलने के लिए तैयार किया था। एक दिन पहले लगकर उसने सारी तैयारियां बड़े ही मन से की थी। पर मां जी को कोई ना कोई कमी दिख ही रही थी। ये नहीं है, वो नही किया, ऐसे नही करना था, वैसे होना चाहिए था। कल विधि की इकलौती ननद ने भी आना था। ऐसे में मां जी तो सिर्फ अपनी बेटी के बारे में बात कर रही थी। ऐसे करना वैसे करना। एक बार भी विधि से नही कहा कि तुम्हे भी जाना है बेटा। तुम अपनी भी तैयारी कर लो। एक ही शहर में रहते हुए भी महीनों वो अपने मायके भी नही जा पाती । कम से कम इस त्यौहार पर तो उसे जाने के लिए बोलना चाहिए था। विनय को भी विधि की इस तकलीफ से कोई सरोकार ना था।
पर उसने सोच लिया था कि वो हंसी खुशी अपने घर जाएगी। पूरी कोशिश की थी उसने की घर का माहौल सही रहे, शांत रहे।
तैयार हो चुकी विधि ने जब विनय से चलने को कहा तो वो बोला पहले उसकी बहन को आने दो। वो राखी बांध लेगी तो चलेंगे। विधि ने ये सुना तो उसे बहुत गुस्सा आया। पर कुछ बोली नहीं। जाकर किचन में काम करने लगी।
विधि की ननद को आते आते शाम हो गई। उसने जब विधि और विनय को राखी बांध दी तब फिर विधि ने बोला अब चलो चलते हैं। मुझे भी राखी बांधनी है।
विनय ने बोला, अरे अभी तो मेरी बहन आई है। इसे खाने के लिए नही पूछोगी?"
ये सुनते ही विधि की आंखों से आंसू छलक पड़े। विधि चुपचाप जाकर अपने कमरे में रोने लगी।
कुछ ही देर बाद, विधि तैयार हो घर से बाहर जाते हुए बोली, " आपने अपनी बहन से राखी बंधवाली, मुझे भी अपने भाई को राखी बांधने जाना है। सारा खाना तैयार है, आप बहुत प्यार से इन्हे खिलाएगा। मैं चलती हूं।"
विधि घर से चली गई और विनय का मुंह बंद हो गया। सब एक दूसरे को देख रहे थे। स्नेह और अपनेपन से भरा त्योहार आखिरकार कड़वाहट का अनुभव करा ही गया।
दोस्तों, अगर हम किसी से स्नेह और सम्मान चाहते हैं। और चाहते हैं कि रिश्तों की मिठास बनी रहे तो सबसे जरूरी होता है एक दूसरे की भावनाओं का सम्मान करना। रिश्तों का ताना बाना कुछ ऐसे गढ़ा होता है कि एक भी हिस्सा टूटा तो सारा परिवार बिखर जाता है। खासकर पति और पत्नी के बीच।
प्रियंका वर्मा
11/8/22
shweta soni
12-Aug-2022 02:36 PM
Nice 👍
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Madhumita
11-Aug-2022 06:21 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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Haaya meer
11-Aug-2022 03:44 PM
Very nice 👍
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